विवाद बढ़ाः KK पाठक और शिक्षक संघ फिर आमने-सामने, संघ ने CM को चेताया, 'पाठक' की तानाशाही से बच्चे-शिक्षक मरेंगे..

KK Pathak and teachers' union again face to face, the union warned the CM, children and teachers will die due to the dictatorship of 'Pathak'. KK Pathak and teachers' union again face to face, the union warned the CM, children and teachers will die due to the dictatorship of 'Pathak'.
img

Edited By - Admin

  • बिहार,
  •  
  • 16 May 2024,
  •  
  • अपडेटेड 09:22 PM IST

PATNA:बिहार में एक बार फिर से शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक और शिक्षक संघ आमने-सामने है. केके पाठक के आदेश को लेकरबिहार माध्यमिक शिक्षक संघ ने मुख्यमंत्री को चेतावनी दी है। संघ ने कहा है कि शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक बिहार के स्कूली बच्चों औऱ शिक्षकों की जान लेने पर तुले हैं। संभावना इस बात की भी है कि केके पाठक ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भी शारीरिक, मानसिक और राजनीतिक रूप से स्वस्थ नहीं होने देने का संकल्प ले रखा है।

बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ के महासचिव और पूर्व सांसद शत्रुघ्न प्रसाद सिंह ने CM नीतीश कुमार को पत्र लिखा है। उन्होंने कहा कि शिक्षा विभाग की घोर अलोकतांत्रिक, अमानवीय और तानाशाही रवैये से शिक्षकों के साथ-साथ बच्चों की जान भी खतरे में है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को तत्काल इसमें हस्तक्षेप करना चाहिये और शिक्षा विभाग के असंवेदनशील, अव्यवहारिक और मुख्यमंत्री को भी कलंकित करने वाले आदेश को तुरंत निरस्त करना चाहिये। शत्रुध्न सिंह ने नीतीश कुमार को कहा है कि शिक्षा विभाग ने आपको भी शारीरिक, मानसिक और राजनीतिक रूप से स्वस्थ नहीं होने देने का संकल्प ले रखा है।

शत्रुघ्न प्रसाद सिंह ने मुख्यमंत्री को कहा कि शिक्षा विभाग ने शिक्षकों से 16 मई से लाखों बच्चों की 90 प्रतिशत उपस्थिति की गारंटी देने को कहा है। बच्चे खाली पेट स्कूल आयेंगे और 12 बजे दुपहरिया में जब तापमान 45 डिग्री रहेगा तब उन्हें घर जाने के लिए मजबूर किया जायेगा। शिक्षकों को खाली पेट 1.30 बजे दिन में घर जाने को कहा जा रहा है। शिक्षा विभाग की तानाशाही के कारण मुजफ्फरपुर के शिक्षक अविनाश कुमार लू लगने के कारण इस दुनिया से विदा हो गए हैं। कई मासूम बच्चे भी काल-कवलित हो गए। लेकिन सरकार सुनने को तैयार नहीं है।

महासचिव ने कहा कि प्राथमिक से विश्वविद्यालय स्तर तक के शिक्षकों की सेवा वेकेशनल होती है और दूसरे सरकारी सेवकों की सेवा ननवेकेशनल है। इसलिए शिक्षकों को 14 दिनों का ही अर्जितावकाश मिलता है और अन्य सरकारी कर्मियों को 33 दिनों का। अभी तक शिक्षा विभाग ने यह आदेश नहीं निकाला है कि शिक्षकों को 33 दिनों का अर्जित अवकाश भी मिलेगा। हद तो यह है कि मुख्यमंत्री के आदेश के बावजूद दिवाकालीन विद्यालय संचालित नहीं हुए। मुख्यमंत्री ने शिक्षकों के स्कूल आने की टाइमिंग को लेकर विधानमंडल में घोषणा की थी लेकिन विधान मंडल की घोषणा मात्र सभा भवन की दीवारों तक ही गूँजती रही। शिक्षा विभाग के कान पर जू तक नहीं रेंगा। हालत यह है कि विश्वविद्यालयों के सेवानिवृत शिक्षक एवं शिक्षकेत्तर कर्मचारी के पेंशन को बंद कर दिया गया है। इनमें कई बीमार हैं लेकिन शिक्षा विभाग उनकी जिंदगी के साथ खिलवाड़ कर रहा है

Related Tags