PATNA: पटना के बिहटा का कुख्यात अमित सिंह हत्याकांड में एक बड़ी साजिश सामने आ रही है। जांच में यह बात सामने आई है कि पटना पुलिस ने झारखंड पुलिस को अमित सिंह के देवघर ले जाने की जानकारी तक नहीं दी थी। देवघर SP ने यह जानकारी दी। पिछले हफ्ते अमित को देवघर कोर्ट में गोली मार कर हत्या कर दी गई थी। उसे बेऊर से पेशी के लिए झारखंड ले जाया गया था।
देवघर कोर्ट में पेशी के लिए अमित सिंह के देवघर पहुंच जाने के बाद भी वहां के स्थानीय थाने को नहीं बताया गया. कुख्यात अमित सिंह के लोकेशन की नियमित जानकारी को भी सीक्रेट रखा गया था। देवघर पहुंचने के बाद उसे हाजत में रखने के बजाय उसके ऐश-ओ-आराम के पूरे इंतजाम किए गए थे। पुलिस इसे थाने पहुंचाने के बजाय पहले से तय इसके एक ठिकाने पर ले गई थी, जहां इसकी गर्लफ्रेंड समेत कुछ दोस्त पहले से मौजूद थे।
पटना के SSP मानवजीत सिंह ढिल्लो ने बताया कि अमित सिंह न्यायिक हिरासत में था। इसलिए इसकी जानकारी जेल को देनी थी, पुलिस को नहीं। उन्होंने बताया कि पटना पुलिस ने जेल को फोर्स मुहैया कराया था। बेउर जेल अधीक्षक जीतेंद्र कुमार ने बताया कि इंटर स्टेट मामला होने के बाद इसे IG के लेवल पर किया जाता है। पुलिस लाइन से इसकी जानकारी दी जाती है। जेल से कभी इसकी जानकारी नहीं दी जाती है। अमित को पेशी के लिए लाया गया था, उसके हाथों में लगी हथकड़ी हटा दी गई थी। वो खुद से कार चलाकर पटना से देवघर आया था। वो कार भी गैंगस्टर की थी। जानकारी के मुताबिक उसे ट्रेन से पटना से रांची पहुंचना था। लेकिन 17 जून को ट्रेन बंद होने के कारण पुलिस अपनी गाड़ी लेने के बजाए गाड़ी मंगवाई और उसके हाथों की हथकड़ी खोल दी।
पूछताछ में देवघर पुलिस को पता चला कि पटना जिला बल के सिपाही संख्या 4050 मो. ताबिश खान से मृतक बंदी अमित सिंह से जेल में भी बात होती थी। वहीं अमित सिंह के विरोधी मानिक गैंग के सदस्यों से भी बात हुई थी। बेउर जेल से अमित सिंह को पेशी के लिए देवघर लाने से पूर्व माणिक गैंग के सदस्यों से सिपाही ताबिश की बात हुई थी। उससे यह स्पष्ट हो गया कि अमित सिंह की हत्या के षड़यंत्रकर्ता की भूमिका सिपाही ताबिश खान ने निभाई.