तकरारः ...तो अब KK पाठक की भी रूकेगी सैलरी...ऐसा क्या हुआ जो ACS का वेतन रोकने तक की नौबत आ गई ?

Now KK Pathak's salary will also be stopped! What happened that led to stopping the salary of ACS? Now KK Pathak's salary will also be stopped! What happened that led to stopping the salary of ACS?
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Edited By - Admin

  • बिहार,
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  • 18 May 2024,
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  • अपडेटेड 08:18 AM IST

PATNA: पटना हाई कोर्ट ने शिक्षा विभाग पर सख्त रूख अपनाया है. विश्वविद्यालयों के खातों के संचालन पर रोक लगाने एवं कुलपतियों द्वारा बैठक में भाग नहीं लेने के मामले पर सुनवाई करते हुए कहा कि शिक्षा विभाग स्वीकृत बजट राशि का भुगतान करे अन्यथा विभाग के सभी आला अधिकारियों वेतन पर रोक लगा दी जाएगी। न्यायाधीश अंजनी कुमार शरण की एकलपीठ ने इस मामले की सुनवाई के बाद यह आदेश दिया है. अगली सुनवाई की 25 जून को होगी.

बिहार के विश्वविद्यालयों की ओर से अधिवक्ता सिद्धार्थ प्रसाद, विंध्याचल राय, रितेश कुमार, राणा विक्रम सिंह, मो. असहर मुस्तफा, राजेश प्रसाद चौधरी ने कोर्ट को बताया कि राज्य सरकार ने 16 मई को पत्र जारी कर विश्वविद्यालयों के बजट की समीक्षा के लिए बुलाई गई बैठक में भाग नहीं लिए जाने पर विश्वविद्यालय के सभी खातों के संचालन पर अगले आदेश तक रोक लगा दी है। इसमें मौलाना मजहरुल हक अरबी-फारसी विश्वविद्यालय, पूर्णिया विश्वविद्यालय एवं मुंगेर विश्वविद्यालय शामिल हैं। शिक्षा विभाग ने तीनों विश्वविद्यालयों के कुलपतियों से स्पष्टीकरण मांगते हुए यह पूछा है कि क्यों नहीं उन्हें पदच्युत करने की कार्रवाई प्रारंभ की जाए। शिक्षा विभाग ने सूबे के तीन विश्वविद्यालयों के सभी खातों रोक लगाते हए उनके कुलपतियों से पूछा है कि आपके बैठक में नहीं आने से विभागीय एवं विश्वविद्यालय के अधिकारियों का समय भी व्यर्थ हुआ। कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर इसलिए चर्चा नहीं हुई कि आप अनुपस्थित थे। बजट संबंधी मामला अतिगंभीर होता है। इसमें कुलपति का स्वयं रहना अति आवश्यक होता है। यह विश्वविद्यालय अधिनियम की धारा 11 (1) एवं (11) के तहत आपकी उदासीनता को इंगित करता है और यह दर्शाता है कि आप विश्वविद्यालय के अति महत्वपूर्ण कार्यों के प्रति उदासीन हैं। यह विश्वविद्यालय अधिनियम की धारा 48 एवं 50 का उल्लंघन है।

उनका कहना था कि विश्वविद्यालय कानून के तहत शिक्षा विभाग को विश्वविद्यालय के किसी भी कर्मी को पदच्युत करने का अधिकार नहीं है। राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता पीके शाही ने कोर्ट को बताया कि विभाग के बैठक में जब तक वीसी भाग नहीं लेंगे तब तक शिक्षा विभाग एक पैसा नहीं देगा। उनका कहना था कि सिर्फ वेतन लेने के लिए विश्वविद्यालय को खोले हुये हैं। यही नहीं उनका कहना था कि वीसी की नियुक्ति कैसे होती हैं यह सभी को पता है। उनका कहना था कि 15 मई से 29 मई के बीच सूबे के 13 विश्वविद्यालयों को बैठक में भाग लेने के लिए समय तय किया गया था। इस पर कोर्ट ने कहा कि वीसी और अधिकारी अहम का मुद्दा नहीं बना काम की बात करें।