PATNA: बिहार में सुशासन राज नहीं बल्कि पुलिसिया राज है। ऐसा इसलिए क्यों कि पुलिसवाले अपराधियों के आगे भले ही घुटने टेक देते हों लेकिन आम-आदमी के सामने बब्बर शेर बन रहे। पुलिस वाले अपनी मर्जी के अनुसार काम कर रहे। अब तो थानेदारों को अपने बड़े अधिकारियों का बी भय नहीं, लिहाजा खुल्लमखुल्ला गलत काम कर रहे। अब तो गया के एक थानेदार ने बजाप्ता थाने में आमलोगों- पत्रकारों की इंट्री पर ही बैन लगा दिया है।
गया के अतरी थाने में आम लोगों की एंट्री बैन कर दी गई है। इतना ही नहीं, पत्रकार भी खबरों के लिए अंदर नहीं जा सकते। थाने के मेन गेट पर ही चौकीदार की तैनाती कर दी गई है। गेट पर तैनात चौकीदार आम हो या फिर कोई पत्रकार, अंदर नहीं जाने दे रहा है। पूछने पर कहता है कि 'बड़े बाबू' का आदेश है। मंगलवार 29 मार्च की शाम कुछ पत्रकार थाने गए थे। उन्हें परिसर में जाने से रोक दिया गया। कहा कि पत्रकार हो या कोई और 'बड़े बाबू' ने किसी को थाने में आने से मना कर दिया है।
मामला सामने आने के बाद नीमचक बथानी के डीएसपी विनय कुमार शर्मा ने बताया कि ऐसा नहीं होना चाहिए। यह गलत है। ऐसा है तो जांच कर विधिवत ठोस कार्रवाई की जाएगी। थाने में किसी के प्रवेश पर रोक नहीं लगाई जा सकती है। थाने पर पहला और अंतिम अधिकार जनता का है, न कि किसी विशेष अधिकारी का।
बता दें, अतरी के थानेदार प्रशांत कुमार भ्रष्टाचार के खिलाफ खबर छापे जाने से बिफरे हुए हैं। गुस्साकर उन्होंने मीडिया कर्मियों समेत जनता के प्रवेश पर रोक ही लगा दी है। अतरी थाना इलाके में बालू का अवैध खनन जोरों पर है। थाना से सटे पैमार नदी के टीकर, सोइया समेत अन्य बालू घाटों से बालू का उठाव बदस्तूर किया जाता रहा है। स्थानीय पत्रकारों ने इस मामले को छापा था। इतना ही नहीं, कई कांडों में फरार आरोपियों के खुलेआम घूमने, अतरी थाना इलाके में शराब निर्माण बदस्तूर जारी रहने की खबरें भी मीडिया में बखूबी आई हैं।ाबताया जाता है कि थानाध्यक्ष 3 साल से ज्यादा से एक ही थाने में डटे हुए हैं। उनके राजनीतिक और प्रशासनिक रसूख के कारण कोई अधिकारी तबादला करने की हिम्मत नहीं जुटाते हैं। थानाध्यक्ष के द्वारा थाने में एक प्राइवेट व्यक्ति को भी रखने के आरोप लगते रहे हैं।