CM नीतीश ने पाठक पर जताया भरोसा K.K पाठक ने मद्य निषेध विभाग का लिया प्रभार, चार्ज लेते ही एक्शन में दिखे अपर मुख्य सचिव

K.K Pathak took charge of Prohibition Department, Additional Chief Secretary seen in action as soon as he took charge K.K Pathak took charge of Prohibition Department, Additional Chief Secretary seen in action as soon as he took charge
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Edited By - Admin

  • बिहार,
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  • 18 November 2021,
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  • अपडेटेड 12:24 PM IST

PATNA:बिहार में शराबबंदी को सफल बनाने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने फिर से पुराना दांव चला है। एक बार फिर से सीएम ने काफी कड़क व चर्चित अफसर के.के. पाठक पर विश्वास जताया है और उन्हें मद्य निषेध विभाग का अपर मुख्य सचिव बनाया है। केंद्रीय प्रतिनियुक्ति से वापस लौटने के बाद शराबबंदी का जिम्मा देकर सीएम नीतीश ने साफ मैसेज दे दिया है कि अब बर्दाश्त नहीं किया सकता।

सेंट्रल डेपुटेशन से वापस बिहार लौटे के.के. पाठक मद्य निषेध विभाग के अपर मुख्य सचिव बनाये जाने के बाद विकास भवन स्थित मुख्यालय पहुंचे और आज गुरूवार को कार्यभार संभाल लिया। के.के. पाठक के आने मात्र से सचिवालय स्थित विभाग में हड़कंप मचा रहा। साऱे अधिकारी व कर्मी समय से पहले कार्यालय में मौजूद थे। अब तक मद्य निषेध विभाग का जिम्मा संभाल रहे चैतन्य प्रसाद ने के.के. पाठक को विभाग का प्रभार दिया। प्रभार लेने के साथ ही अपर मुख्य सचिव पाठक हरकत में आ गये। उन्होंने विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक ली और जानकारी प्राप्त की। इसके बाद विभाग के मंत्री सुनील कुमार के साथ भी बैठे । इस दौरान गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव चैतन्य प्रसाद भी मौजूद रहे। प्रभार ग्रहण करने के बाद अपर मुख्य सचिव के.के. पाठक ने जिलों में पदस्थापित अधिकारियों से भी वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से मीटिंग की और आवश्यक निर्देश दिये। अपर मुख्य सचिव ने अपने अधिकारियों से साफ कर दिया कि लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जायेगी। हर हाल में शराबबंदी को सफल बनाना है।

बता दें, बिहार के कड़क आईएएस अफसर माने जाने वाले के.के. पाठक पहले भी मद्य निषेध विभाग के प्रधान सचिव रह चुके हैं। 2016 में जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शराबबंदी कानून लागू किया था तब भी के.के. पाठक पर ही यह जिम्मेदारी दी थी। हालांकि कुछ समय बाद उन्हें विभाग से हटा दिया गया था। वैसे के.के. पाठक का विवादों से गहरा नाता रहा है। जानकार बताते हैं कि एक विवाद की वजह से मद्य निषेध विभाग में पदस्थापन के दौरान वे लंबी छुट्टी पर चले गये थे।

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