साधु हो गए तो नहीं मिलेगा हिस्सा! पूर्व DGP गुप्‍तेश्‍वर पांडेय को पुश्तैनी जमीन की चिंता, मां से पूछा- हमरा हिस्‍सा देबू की ना,माताजी ने दिया यह जवाब

Former DGP Gupteshwar Pandey is concerned about the ancestral land, Former DGP Gupteshwar Pandey is concerned about the ancestral land,
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Edited By - Admin

  • बिहार,
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  • 09 February 2022,
  •  
  • अपडेटेड 08:31 PM IST

PATNA: क्या पूर्व डीजीपी की पैतृक संपत्ति में हिस्सा नहीं मिलेगा? गुप्तेश्वर पांडेय के छोटे भाई की पत्नी यही कहते चल रही है। पूर्व पुलिस महानिदेशक गुप्‍तेश्‍वर पांडेय को पुश्‍तैनी जमीन की चिंता सता रही है। जानकारी मिलने पर पूर्व ड़ीजीपी अपने पैतृक गांव पहुंच गए और अपनी चिंता से मां को अवगत कराया। उऩ्होंन अपनी मां से कहलवाया कि मेरे लिए तीनों बेटे बराबर हैं। हम किसी एक को संपत्ति नहीं देंगे।

दरअसल, गुप्तेश्वर पांडेय ने फेसबुक पेज पर एक वीडियो शेयर किया है। जिसमें इन सारी बातों का जिक्र है। वे कहते हैं कि छोटे भाई की पत्नी कह रही कि साधु हो गए तो उन्‍हें जमीन में हिस्‍सा नहीं मिलेगा। उनकी मां, कहती हैं कि उसकी नजर में साधु हो सकते हो, मेरी नजर में तो बेटा ही हो। दरअसल पूर्व डीजीपी अपनी मां से भोजपुरी में बतिया रहे हैं। मां-बेटे के इस संवाद का वीडियो उन्‍होंने फेसबुक पर शेयर किया है। यह वीडियो खूब वायरल हो रहा है।

गुप्‍तेश्‍वर पांडेय ने फेसबुक पर वीडियो पोस्‍ट कर लिखा है कि मां के साथ जब हम तीनों भाई अलग-अलग बैठते हैं तो अपने-अपने तरह से आनंद लेते हैं। जो सुविज्ञ, संस्‍कारी और श्रद्धालु सज्‍जन भोजपुरी भाषा समझते हैं वे ही मां के साथ मेरे संवाद का आनंद ले सकते हैं। आपकाे लगभग 90 साल की आयु वाली मेरी मां की आवाज की टनक सुनकर आश्‍चर्य भी होगा। पूर्व डीजीपी ने इसके साथ ही लिखा है कि दुनियां की सारी माताओं को मेरा सादर प्रणाम।

गुप्‍तेश्‍वर पांडेय अपनी माता पास बैठे हैं। कहते हैं कि ऊ छोटकी पुतोह कहतिया कि तीन गो लड़का बा लेकिन बड़का बेटा जे बाड़न ऊ त साधू हो गइलन। उनका खेत आ जमीन से का मतलब। उनकर हिस्‍सा हमही लिखबा लेब। इसपर उनकी मां कहती हैं कि ओकरा जनी में साधू न बाड़न, हमरा नजर में त बेटा बाड़न। उ कहतिया त कहे दे, ओकरा के देबे के बा, हमरा न देबे के बा। पूर्व डीजीपी कहते हैं कि ढेर ऊ हल्‍ला कैले बिया। काहे अइसन परचार कर तिया। बेइमानी न न करबू, मां कहती हैं कि ना रे दादा, हमर जनमल, हमहींं बेइमानी करब।