कटघरे में SP लिपि सिंह! पूर्व IPS अफसर ने पप्पू देव की मौत को नृशंस 'हत्या' बताया,कहा- लिपि सिंह को दायित्व का 'ज्ञान' नहीं, सरकार ले एक्शन

Ex-IPS officer calls Pappu Dev's death a brutal 'murder' Ex-IPS officer calls Pappu Dev's death a brutal 'murder'
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Edited By - Admin

  • बिहार,
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  • 26 December 2021,
  •  
  • अपडेटेड 03:46 PM IST

PATNA:कोसी के इलाके का डॉन रहे पप्पू देव की हार्ट अटैक से मौत हुई या पुलिस पिटाई से? मौत के बाद जो तस्वीर सामने आई उससे आधा पर्दा उठा था। अब पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद साबित हो गया कि पप्पू देव की पुलिस हिरासत में जमकर पिटाई हुई जिससे मौत हुई है। रिपोर्ट के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सुशासन की पुलिस की पोल खुल गई है। पप्पू देव के पैर से लेकर पूरे शऱीर पर पिटाई के गहरे जख्म थे। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में पाया गया कि शरीर पर जख्म के 30 गंभीर निशान हैं। ये निशान हार्ड एंड ब्लंट वस्तु के प्रहार के हैं। रिपोर्ट के बाद एक बार फिर सहरसा पुलिस और एसपी लिपि सिंह की कार्यशैली पर सवाल उठने लगे हैं। बिहार के एक रिटायर्ड आईपीएस अफसर ने सहरसा एसपी लिपि सिंह को कटघरे में खड़ा किया है। उन्होंने कहा है कि पप्पू की सुनियोजित तरीके से हत्या की गई । इसका गुनाहगार कहीं न कहीं पुलिस ही है।

रिटाय़र्ड आईपीएस अफसर ने सहरसा पुलिस की खोल दी पोल

बिहार के रिटायर्ड डीआईजी सुधीर कुमार ने पप्पू देव की पुलिस हिरासत में मौत नहीं बल्कि हत्या बताया है। उन्होंने कहा कि अब पोस्टमार्टम रिपोर्ट सामने है। इस आधार पर कहा जा सकता है पप्पू देव की हत्या की गई है। उन्होंने कहा कि डॉक्टरों द्वारा समर्पित शवच्छेदन प्रतिवेदन से तो स्पष्ट है कि पप्पू देव को बुरी तरह किसी भोथरे हथियार से पीटपीट कर मारा गया था । निस्संदेह यह पुलिस अभिरक्षा में की गई नृशंस हत्या का मामला है ।

रिटायर्ड आईपीएस अफसर ने कहा कि कुछ लोगों के अनुसार पप्पू देव एक अपराधी था और उसकी हत्या को ज्यादा महत्त्व नहीं दिया जाना चाहिए । क्या यह सही नजरिया है ? फिर न्यायालय की क्या जरुरत है ? तब तो सरकार को कानून बनाकर पुलिस को अधिकार दे देना चाहिए कि वह अपनी अभिरक्षा में स्वविवेक से किसी अपराधी की हत्या करने को स्वतंत्र है। मुझे लगता है कि पुलिस अधीक्षक लिपि सिंह को अपने दायित्व का उचित ज्ञान नहीं है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट से प्रथम दृष्टया तो यही लगता है कि सहरसा पुलिस हत्या का दोषी है ।

उन्होंने कहा कि खैर ,यह बात उजागर होनी चाहिए कि आखिर हत्या क्यों की गई ? क्या सच में पुलिस के साथ मुठभेड़ हुई थी ? यदि गोलीबारी हुई थी,जैसा बताया जा रहा है ,तो क्या हथियार जब्त किये गए थे और उसपर अभियुक्त के फिंगरप्रिंट मौजूद हैं ? यदि नहीं ,तो फिर मुठभेड़ की कहानी को सच कैसे माना जा सकता है ? आखिर पुलिस किस वारण्ट के निष्पादन के लिए वहाँ गयी थी ? पुलिस का शाब्दिक अर्थ ही अभिरक्षक है । वह दूसरों की या अपनी रक्षा के लिए तात्कालिक परिस्थिति से बाध्य होकर किसी की हत्या कर सकती है और यह अधिकार आम जनता को भी है । लेकिन ,सहरसा पुलिस को स्पष्ट करना ही होगा कि किस परिस्थिति में वह पप्पू देव की हत्या करने को बाध्य हुई थी। यदि पर्याप्त कारण स्पष्ट करने में वह असफल रहती है ,तो उसे हत्या के अभियुक्त के रूप में न्यायालय में प्रस्तुत होना ही होगा ।

अगर जांच और कार्रवाई नहीं हुई तो कानून का कोई मतलब नहीं

आईपीएस सुधीर कुमार ने कहा कि हत्या के लिए थानेदार दोषी है या डीएसपी या एसपी या तीनों या फिर अन्य -यह भी वरीय पदाधिकारियों को स्पष्ट करना होगा । जनता को विश्वास करना चाहिये कि ऐसा ही होगा । हो सकता है कि रजनीश कुमार का जिला पार्षद बन जाना ही पप्पू देव के लिये काल बन गया हो । स्वतंत्र भारत में पुलिस अभिरक्षा में इस तरह की हत्या का यह विरला उदाहरण होगा । हत्याएँ होती हैं ,पर उसे पुलिस मुठभेड़ का रूप देकर छिपाने का प्रयास किया जाता है । यहाँ तो ऐसा भी कुछ नहीं है । मेरे पास निंदा और भर्त्स्ना के लिये उचित शब्द नहीं हैं । खैर ,मुझे विश्वास है कि प्रशासन उचित जाँच और कार्रवाई जरूर करेगा ,अन्यथा जनता के मन -मस्तिष्क में कानून का कोई अर्थ ही नहीं रह जायेगा । जय हिंद

सहरसा पुलिस का दावा झूठा

सहरसा पुलिस ने पप्पू देव के मौत की जो कहानी सुनाई उसके अनुसार, 18 दिसंबर की शाम सदर थाना को सूचना प्राप्त हुई थी कि सदर थाना क्षेत्र अंतर्गत सराही में पप्पू देव और उसके कुछ समर्थक जबरदस्ती हथियार से लैस होकर अपने गुर्गों के साथ एक जमीन की घेराबंदी करवाने का प्रयास कर रहा था. पुलिस द्वारा छापामारी की गई तो पप्पू देव और उसके समर्थकों द्वारा पुलिस पर गोलियां चलाई गई. जवाबी कार्रवाई में पुलिस के द्वारा भी आत्म रक्षार्थ फायरिंग की गई. घिरा हुआ देखकर पप्पू देव राइफल लेकर भागने लगा . उसने दीवार से छलांग लगा दी. पुलिस बल के द्वारा उसे उठा कर लाया गया. पुलिस द्वारा हिरासत में लिए जाने के बाद उसने छाती में दर्द होने की शिकायत की तो उसे देर रात 2:05 पर सदर अस्पताल के आईसीयू में भर्ती कराया गया. 3:10 पर उसे चिकित्सकों ने बेहतर इलाज के लिए दूसरे संस्थान में ले जाने की बात कहते हुए रेफर कर दिया. पुलिस के द्वारा तत्काल एंबुलेंस की व्यवस्था की गई तथा उसे दरभंगा मेडिकल कॉलेज अस्पताल या पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल ले जाने की तैयारियां शुरू की गई. इसी दौरान 4:00 बजे चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया.